नई दिल्ली: प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में कृषि और किसान कल्याण विभाग का जो मुख्य लक्ष्य है, वो है देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों की ये बढ़ाना, पोषणयुक्त अनाज देना। इसके लिए छः आयामों पर हम काम कर रहे हैं। उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, ठीक दाम देना, नुकसान की भरपाई, कृषि का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती।
जहां तक उत्पादन बढ़ाने का सवाल है, मुझे कहते हुए गर्व है की 2014 से लेकर अब तक खाद्यान्न उत्पादन 40% के आसपास बढ़ा है। गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन में रिकॉर्ड स्थापित किया है। इसमें हम आत्मनिर्भर हैं। 4 लाख करोड़ से ज्यादा का निर्यात भी हमने किया है।
हम दालों में आत्मनिर्भर नहीं हैं। भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता है लेकिन सबसे ज्यादा आयात भी करता है। इसलिए प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और प्रेरणा से दालों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए दलहन मिशन बनाया गया है। हमारा लक्ष्य है 2030-31 तक दालों के क्षेत्रफल को बढ़ाएंगे। अभी 275 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है, इसको बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर किया जाएगा। दालों का उत्पादन हमारा 242 लाख टन है, इसे बढ़ाकर 350 लाख टन करना है।
अभी उत्पादकता 881 किलो प्रति हेक्टेयर है, इसे बढ़ाकर 1,030 किलो प्रति हेक्टेयर ले जाना है। इसके लिए हमने रणनीति बनाई है, एक है अनुसंधान और विकास। दालों के ऐसे बीज जिनकी उत्पादकता ज्यादा हो, जो रोग प्रतिरोधी हो। दलहनी फसल ज्यादा सर्दी सहन नहीं कर पाती। कीटों का प्रकोप ज्यादा होता है। इसलिए उच्च उत्पादकता वाली, कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल किस्मों का विकास।
किसानों को इन्हें पहुंचाने के लिए एग्री यूनिवर्सिटी, कृषि विज्ञान केंद्र, बीज विकास निगम काम करेंगे। हम किसानों को ऐसे बीज मिनी किट्स के रूप में उपलब्ध कराएंगे। 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को दिए जाएंगे और 86 लाख निःशुल्क किट भी प्रदान करेंगे।
दलहन के एरिया में ही प्रोसेसिंग हो जाए तो दाम ठीक मिलेंगे। इसलिए 1,000 प्रसंस्करण इकाई भी स्थापित करेंगे, जिसमें सरकार 25 लाख रुपये तक की सब्सिडी देगी। राज्य सरकार, केंद्र सरकार, केवीके, प्रगतिशील किसान मिलकर इसके लिए काम करेंगे।
हमारी कृषि में उत्पादकता अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग फसलों की अलग है। एक राज्य में भी जिलों की उत्पादकता अलग है। हमने तय किया है की कम उत्पादकता वाले जिलों को चिन्हित करें और उनमें उत्पादकता बढ़ाएं। ऐसे सौ जिले चयनित किए गए हैं, पीएम धन धान्य कृषि योजना के अंतर्गत इन जिलों में उत्पादकता बढ़ाने के लिय प्रयत्न किए जाएंगे। यहाँ सिंचाई व्यवस्था, भंडारण, ऋण सुविधा के उपयोग को बढ़ाना, फसलों का विविधीकरण पर काम किया जाएगा।
नीति आयोग डैशबोर्ड बनाकर इसकी निगरानी करेगा। 11 विभाग की 36 योजनाओं का कनवरजेंस करके काम होगा। मुझे बताते हुए खुशी है की 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री जी के हाथों पूसा संस्थान में इन योजनाओं को लॉन्च किया जाएगा। हमारे यहाँ छोटे किसान हैं। 2020 में 10,000 FPO बनाने का लक्ष्य रखा था, ये बन गए हैं। प्रसन्नता की बात ये है की इनमें से 1,100 FPO ऐसे हैं, जिनका टर्न ओवर 1 करोड़ से ज्यादा है। 52 लाख से ज्यादा किसान FPO के शेयर होल्डर हैं, 15 हजार करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर है। ये केवल उत्पादन नहीं, प्रोसेसिंग का काम भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी उस दिन ऐसे FPO को सम्मानित करेंगे।
कैमिकल फर्टिलाइजर से मुक्त खेती भी हमारा लक्ष्य था। प्राकृतिक खेती में अब तक 15 लाख किसानों को नामांकित किया गया है और 6.20 लाख हेक्टेयर जमीन पर ये प्राकृतिक खेती करेंगे। डेढ़ लाख किसानों को सर्टिफिकेशन दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी प्रमाण पत्र देंगे। पोस्ट हार्विस्ट मेनेजमेंट बहुत पूअर था। कोविड काल में एक लाख करोड़ के AIF की घोषणा प्रधानमंत्री जी ने की थी। 1 लाख 17 हजार करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत हो गई हैं। की तरह की छोटी-बड़ी परियोजनाओं पर काम हुआ है।
एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम सम्पन्न होगा। प्रधानमंत्री जी अलग-अलग किसानों से संवाद भी करेंगे पूसा के खुले क्षेत्र में। इसके बाद वो सुब्रमण्यम हॉल में योजनाओं को लॉन्च करेंगे। इस कार्यक्रम से 731 केवीके, 113 ICAR संस्थान, मंडियाँ, किसान समृद्धि केंद्र, पंचायत, ब्लॉक, जिलों में भी कार्यक्रम होगा। किसान इस कार्यक्रम से जुड़कर प्रेरणा प्राप्त करें।








