भोपाल: मैं यहाँ केवल इसलिए नहीं आया कि मंच पर बुके लूंगा, कुछ बोलूँगा और चला जाऊंगा। मैं बिना मतलब के कहीं नहीं जाता। मुझे मुख्य अतिथि कहा जा रहा है। मैं मेहमान नहीं, मामा हूँ। मामा मेहमान कैसे हो सकता है। सलूजा जी शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति लाए हैं, इसके लिए उनका अभिनंदन। शिक्षा के क्षेत्र में भारत ने एक नई गति और दिशा पकड़ी है लेकिन प्राइवेट सेक्टर का अपना एक योगदान है।
मैं आपको तीन चीजें बताऊँगा। एक मैं कौन हूँ, दूसरा तुम कौन हो और तीसरा हम हैं किस लिए। सारा देश, सारी दुनिया एक परिवार है। अपने देश का हजारों वर्ष पुराना ज्ञात इतिहास है। जब पश्चिम के देशों में सभ्यता का सूर्योदय नहीं हुआ था, तब हमारे देश में ऋषियों ने वेदों की ऋचाएँ रच दी थीं।
हमारे देश में कहा गया सत्य एक है, लेकिन विद्वान उसे अलग-अलग तरीके से कहते हैं। हमारे देश में कहा गया कि सभी को अपने जैसा मानो, कोई पराया नहीं है। हमारे देश में कहा गया कि सभी में एक ही चेतना है। हमारे देश में कहा गया कि मेरा-तेरा की सोच छोटे दिल वालों की है, बड़े दिलवालों के लिए तो सारी दुनिया एक परिवार है। हमारे देश में कहा गया प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि तुम केवल साढ़े तीन हाथ के हाड़-माँस के पुतले नहीं हो। तुम ईश्वर का अंश हो, अमर-आनंद के भागी हो, ऐसा कोई कार्य नहीं है जो तुम न कर सको। आप भारत के अध्यात्म को समझिए। आप सभी से मैं कह रहा हूँ, व्यक्ति जैसा सोचता और करता है, वो वैसा ही बन जाता है। अगर हमारी सोच है कि हमारी जिंदगी कट जाए, तो ऐसा ही बन जाओगे लेकिन अगर तुमने सोच लिया कि तुम्हें नई सृष्टि की रचना करनी है, तो तुम भी सैम जैसी यूनिवर्सिटी बना लोगे।
हमारे जैसे ही लोगों ने दुनिया में बड़े-बड़े काम किए। साधारण जीवन मत जीयो, असाधारण काम करो। अगर सोच सकते हो तो सोचो, नौकरी मांगने वाले क्यों, नौकरी देने वाले क्यों न बन जाएं! तुम में से कोई भी स्टार्ट अप खोलने का सोच सकता है। कई बच्चे हैं जो आईआईटी में पढ़ने के बाद आधुनिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने खेती में नई दिशा दे दी। अगर इंजीनियरिंग में जाओ, तो सोचो कि अलग कैसे कर सकते हो। मेहनत और ईमानदारी से काम करोगे तो दुनिया में कोई ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।
हमारे प्रधानमंत्री जी एक साधारण परिवार में जन्मे। पिताजी चाय की दुकान चलाते थे। मन में दृढ़ संकल्प था,और आज दुनिया उनका सम्मान करती है। ये क्षमता केवल उनमें नहीं है, आप सभी में है। इसलिए मैं ये बताना चाहता हूँ कि तुम कौन हो। तुम अलग-अलग क्षेत्र का सोचना। आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जल्द ही तीसरे नंबर पर आने वाला है। हम दुनिया में सबसे आगे रहेंगे। इसमें तुम्हारा योगदान भी चाहिए।
हमारे पास केवल थ्योरिटिकल ज्ञान न रहे, प्रैक्टिकल भी रहना। व्यावहारिक रहते हुए सोचो कि भविष्य में क्या करना है। तुम बड़े से बड़ा काम कर सकते हो। साधारण जीवन मत गुजारना। इस दुनिया में हम क्यों हैं, इस पर विचार करो।
महाभारत में प्रसंग है, पांडव वनवास में थे, जंगल में जा रहे थे। प्यास लगी, तो एक भाई ने पक्षियों को देखा, सहदेव पानी ढूंढते हुए गए, तालाब के किनारे पहुँचे तो आवाज आई कि मेरे प्रश्न का उत्तर दिए बिना पानी मत पीना, नहीं तो मृत्यु हो जाएगी। सहदेव नहीं माने, ऐसे ही चार भाई मृत्यु को प्राप्त हुए। इसके बाद युधिष्ठिर की बारी आई। उन्होंने कहा कि प्रश्न पूछो। एक प्रश्न था कि दुनिया में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है। युधिष्ठिर ने कहा कि मनुष्य पैदा होता है, बड़ा होता है, फिर शादी होती है, फिर बच्चे होते हैं, फिर बूढ़ा होता है और फिर मर जाता है। मनुष्य ऐसे व्यवहार करता है कि मैं तो हमेशा यहीं रहूँगा। यही सबसे बड़ा आश्चर्य है।
हम धरती पर आए हैं, हमें जितना जीना है, कैसे जीना है, ये भी तो सोचो। अपने लिए जीए तो क्या जीए, जीता वही है जो औरों के लिए जीता है। जीवन का आनंद लो। हम दूसरों के लिए उपयोगी कैसे हो सकते हैं। मैंने पिछले एक महीने में दो लोग देखे। एक सज्जन आए, वो राजस्थान में काम करते हैं। वो एक संस्था चलाते हैं, 'अपना घर', जिसमें ऐसे लोगों को रखा जाता है जो बूढ़े हैं और अपना काम नहीं कर सकते। एक महाराष्ट्र में हैं मयंक गांधी, वो विदेश में नौकरी करते थे लेकिन अब गाँव आकर लोगों की सेवा करते हैं। इसलिए मैं कहता हूँ कि उद्देश्यपूर्ण जीवन जीयो।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश बदल रहा है। हम किसी को छेड़ते नहीं हैं लेकिन किसी ने छेड़ा, हम उसे छोड़ते नहीं हैं। दिल्ली में भी जिसने किया है, वो कहीं भी छुप जाएँ, बचेंगे नहीं। इस बदलते भारत में हमारा योगदान क्या हो सकता है? आज देश के लिए मरने की जरूरत नहीं है, आज जीने की जरूरत है। जीना है तो एक काम जरूर करना, हमारे देश में बनी हुई चीज ही खरीदना, इंपोर्टेड चीज मत खरीदना। हमारे देश में कोई भी कंपनी बनाए, उससे फरक नहीं पड़ता लेकिन बनना हमारे देश में ही चाहिए। स्वदेशी का ही उपयोग करें।
मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है, अगर कोई नशा करता है तो उससे दूर रहना, नशा कभी मत करना। शौक-शौक में आदत लगती है लेकिन फिर लत लग जाती है और जीवन बर्बाद हो जाता है। जिंदगी के जिस मोड़ पर जरूरत होगी, मामा आपकी मदद करेगा। अर्थपूर्ण मानव जीवन जीना, सभी को बधाई। दीक्षांत का मतलब ये नहीं कि दीक्षा का अंत हुआ है, आज अब सबकी एक नई जिदंगी शुरू हुई है।








