मैसूर: आज यहाँ आकर मैं धन्य हो गया। आद्य जगद्गुरु के चरणों में प्रणाम करता हूँ। उन्होंने हजार साल पहले इस मठ का बीजारोपण किया था। आज यह विशाल वटवृक्ष बन गया है। मैं अपना सौभाग्य मानता हूँ कि मैं उनकी 110वीं जयंती में सम्मिलित होने आ पाया। राजनीति तोड़ती है, लेकिन धर्म जोड़ता है। बीजेपी, कांग्रेस, जेडीएस, यहाँ सब इकट्ठा हैं। आज मुझे अलग-अलग पार्टियों के नेताओं का स्वागत करने का अवसर मिला।
यहाँ अद्भुत वातावरण है। यहाँ लौकिक कुछ भी नहीं है, सब अलौकिक है। यहाँ की हवा सेवा का संदेश देती हैं, मैसूर की घटाएँ सेवा का संदेश देती है, यहाँ के लोग भी सेवा का संदेश देते हैं। जीवन उसी का धन्य है जो दूसरों की सेवा में लगा है। भारत प्राचीन और महान राष्ट्र है । हजार साल पुराना तो मठ का इतिहास है।
जब दुनिया के विकसित राष्ट्रों में सभ्यता का सूर्योदय नहीं हुआ था, तब हमारे यहाँ ऋषियों ने वेदों की ऋचाएँ रच दी थी। हमारे संतों ने कहा आत्मवत सर्वभूतेषु। कोई भूखा है तो उसे भोजन कराओ। जीयो और जीने दो। हमारे भारत ने सारी दुनिया को एक परिवार माना है। हमारे इस मठ से पूरी दुनिया को ज्ञान का प्रकाश मिल रहा है। ये भारत है जो प्राणियों में भी सद्भावना चाहता है। हम जीव-जंतुओं, कीट-पतंगों में भी भगवान शंकर को देखते हैं। भगवान शंकर सभी को अपनाते हैं।
भारत विश्व के कल्याण का संदेश देता है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ शायद इसलिए हजार साल पहले जगद्गुरु पधारे और उन्होंने धर्म की स्थापना की। हमें सभी को जोड़ना चाहिए। लोगों की सेवा ही भगवान की पूजा है। मैं अंतरात्मा से कोशिश करता हूँ कि लोगों की सेवा करूँ।
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा। किसान अन्नदाता हैं मतलब जीवनदाता।अभी मैं किसानों से मिला। एक नहीं अनेक प्रकल्प प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में प्रारंभ करने की कोशिश की है। उत्पादन बढ़े, लागत घटे, ठीक दाम मिले, नुकसान की भरपाई हो, फसलों का विविधीकरण हो और हम प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें। हमारे छोटे किसान को इंटीग्रेटेड फ़ार्मिंग का लाभ मिले, इस पर हम काम कर रहे हैं।
दिन रात केवल एक ही कोशिश है कि खेती को फायदे का धंधा कैसे बनाएं। एक समय अमेरिका का सड़ा गेहूँ हम खाने को मजबूर थे लेकिन आज भारत गेहूँ एक्सपोर्ट कर रहा है। भारत अपना पेट तो भरेगा ही, दुनिया का फूड बास्केट भी बनेगा। मैं एक निवेदन करता हूँ। कुछ देश के नेता अधिनायक जैसा व्यवहार कर रहे हैं, मैं कहना चाहता हूँ कि भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन भारत कराएगा। हमारा देश दिशा दिखाएगा।
हमारे प्रधानमंत्री जी ने अपील की है। आज टैरिफ लादा जा रहा है। ऐसे वातावरण में देशभक्ति की भवन प्रज्जवलित होना चाहिए। एक संकल्प लेना चाहिए कि हम दैनिक जीवन में आने वाली उन्हीं चीजों का उपयोग करेंगे जिन्हें हमारे देश के लोगों ने बनाया हो। भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ये जरूरी है।
मैं एक बार फिर आद्य गुरु के चरणों में बारम्बार प्रणाम करता हूँ। कोविड में जो बच्चे अनाथ हो गए, उनके लिए भोजन, कपड़े और पढ़ाई का इंतजाम हो रहा है। 50 रुपये में पूरा इलाज मिलता है। यही तो पीड़ित मानवता की सेवा है। मैं परमपूज्य स्वामी शिवरात्रि राजेन्द्र जी के चरणों में प्रणाम करता हूँ। शरीर तो नाशवान है लेकिन आत्मा अजर-अमर है। मैं आज एक ऊर्जा के भंडार को अपने साथ लेकर जाऊंगा और इस ऊर्जा से मैं माताओं, बहनों, किसानों और गरीबों की सेवा करूंगा। मैं एक प्रार्थना और करूंगा कि हमें सद्बुद्धि दें, ताकि हम अपने मानव जीवन को सफल और सार्थक बना सकें।








