पटना: बिहार में आज बादल भी बरस रहे हैं और विकास की भी बारिश हो रही है। आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 64,000 करोड़ रुपये की सौगात दी है। विकसित भारत का सूर्य बिहार के भाल पर चमक रहा है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की सौगातें बिहार को दी गई हैं। एक जमाना था, जब एक सरकार के मुखिया कहते थे कि सड़कें मत बनाओ, सड़कों पर तुम्हारी गाड़ी नहीं चलेगी। लेकिन आज प्रधानमंत्री जी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में विकास की गंगा बह रही है।
किसान भाइयों, कृषि आज भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा। कृषि मंत्री के रूप में आपकी सेवा भगवान की पूजा है मेरे लिए। हम किसान को भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ सकते। उसके साथ केंद्र और राज्य सरकार खड़ी है। आज मैं अपने देशवासियों से कहना चाहता हूँ, भारत में जिस गति से खेती आगे बढ़ रही है, हम अपने देश का पेट तो भर ही रहे हैं, लेकिन दुनिया को भी हम खिला रहे हैं। इसमें बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका है।
हमारा लक्ष्य है उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दाम देना। अभी कुछ दिन पहले ही कैबिनेट की बैठक में हमने तय किया कि गेहूँ की MSP 160 रुपये क्विंटल MSP बढ़ाई जाएगी। जौ की 170 रुपये प्रति क्विंटल, चने की 225 रुपये, मसूर की 300 रुपये, सरसों की 250 रुपये और कुसुम की 600 रुपये प्रति क्विंटल बधाई जाएगी। मसूर, उड़द और अरहर जितनी पैदा करेंगे किसान, पूरा भारत सरकार खरीदेगी।
आज मैं मखाना महोत्सव में आया हूँ। मखाना अद्भुत है, पोषण से भरपूर है। ये गरीबों और किसानों के लिए वरदान बना है। आज बिहार मखाने में नंबर एक पर है बिहार। देश का 85% मखाना आज बिहार की धरती पर हो रहा है। मक्का में हम दूसरे नंबर पर हैं, मसूर और शहद में हम तीसरे नंबर पर हैं, मूंग और गन्ना में हम पाँचवे नंबर पर हैं, गेहूँ और चावल के उत्पादन में छठवे नंबर पर हैं। मखाना में नित नए प्रयोग हो रहे हैं। इसकी खेती लगातार बढ़ रही है। 3,000 हेक्टेयर से बढ़कर 35,000-40,000 हेक्टेयर में इसकी खेती हो रही है।
मखाना आज महानगरों में खाने की टेबल पर पहुँच गया है। मीटिंग में मखाना परोसा जाता है। मखाना केवल अपने देश में नहीं, दुनिया में भी जा रहा है। अमेरिका, कनाडा, यूएई में जा रहा है। यूरोप और एशिया के बाकि देशों में भी जाएगा। मखाना बोर्ड के गठन की बात प्राधानमंत्री जी ने कही थी। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है और काम भी बोर्ड करने लगा है। मखाने का उत्पादन हमें बढ़ाना है। ICAR ऐसे बीजों पर काम कर रहा है जिससे ज्यादा मखाने का उत्पादन हो। मैं मखाने के उत्पादकों और प्रोसेसिंग में लगे भाइयों को बताना चाहता हूँ कि, मखाने की रिसर्च और अनुसंधान के लिए जितने धन की जरूरत होगी, मैं कमी नहीं आने दूंगा।
उत्पादन की लागत हमें घटाना है। उत्पादन बढ़े लेकिन लागत घटे। हम नई किस्मों का विकास कर रहे हैं, उसमें हमने उत्पादकों की सहूलियत को भी देखा है। मखाना पानी में डूब कर लगाना पड़ता है। हम ऐसी वेराइटी विकसित कर रहे हैं, जो तीन फीट पानी में भी लग जाएगा। इसमें पानी के अंडर नहीं जाना पड़ेगा। हम ऐसी मशीन बना रहे हैं, जिसमें मखाना निकालना होगा, तो आपको सिर डुबाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जितनी कठिनाइयाँ होती हैं, उनको दूर करने का काम हम कर रहे हैं। हम अनुसंधान करेंगे, रिसर्च करेंगे, मेकेनाइजेशन करेंगे। मखाने की हम पॉपिंग करते हैं, उसमें भी दिक्कत आती है। हम ऐसी मशीन बनाएंगे, जिसमें मखाने का आकार खराब न हो। पोस्ट हार्विस्ट प्रबंधन के काम में भी हम पूरी ताकत से लगे हैं। मैं युवाओं से भी कहता हूँ, इस क्षेत्र में आइए, अपने स्टार्टअप प्रारंभ कीजिए।
मखाने के क्षेत्र में काम करने वालों को हम ट्रेनिंग भी देंगे और आर्थिक सहायता भी देंगे। कोल्ड स्टोरेज हो या पैकेजिंग सुविधाएँ हों, इनको भी हम विकसित करेंगे। कई तरह का वेल्यू एडीशन हो रहा है, अगर जिम जाना हो, तो जिम जाने के पहले मखाने का पाउडर लीजिए। ऐसे कई तरह के प्रयोग होते रहेंगे। ऐसे प्रयासों में मखाना बोर्ड आपके साथ खड़ा रहेगा। केवल इतना ही नहीं, मार्केटिंग और ब्रांडिंग में भी आपको हम मदद करेंगे। मखाना देश में तो बिके ही, साथ ही दुनिया में भी हर थाली में मखाना पहुँचे, इस दिशा में भी हम लगातार काम करते रहेंगे। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लिए क्वालिटी टेस्टिंग लैब की स्थापना करेंगे। सेंटर ऑफ एक्सिलेन्स की स्थापना भी होगी। हम कोई ऐसा क्षेत्र नहीं छोड़ेंगे मखाने से संबंधित। खेत से लेकर बाजार तक की वेल्यू चेन को विकसित करने का काम करेंगे, जिससे किसान की आय में बढ़ोतरी होगी।
प्रधानमंत्री जी ने स्वदेशी का आह्वान किया है। अपना मखाना दुनिया में छाए, लोगों की आय भी बढ़ाए, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। मखाने का उन्नत बीज चाहिए, इसके उत्पादन के लिए मखाना बोर्ड 80,000 रुपये हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान करेगा। मखाने की खेती के लिए चयनित किसानों को 50,000 से 70,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाएगी। हम मनरेगा से भी मदद करेंगे। नया तालाब बनाना हो तो उसके लिए 2,80,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मदद करेंगे। मखाना कटाई के लिए किसान को 3,50,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। जो FPOs बनेंगे, उनको 4,20,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। पारंपरिक गन की जरूरत पड़ती है, उसके लिए हम 1,600 रुपये की सब्सिडी प्रदान करेंगे। पोस्ट हार्विस्ट के लिए, वेल्यू एडीशन के लिए 21,00,000 रुपये से लेकर साढ़े तीन करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
मखाना बोर्ड को और क्या काम करना चाहिए, अगर आप सुझाव देंगे, तो मैं वचन देता हूँ, उसको इम्प्लीमेंट करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मामा बिहार में आप सभी के साथ खड़ा रहेगा।








