नई दिल्ली: कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसके प्राण हैं, आत्मा हैं। कृषि मंत्री के रूप में किसानों की सेवा मेरे लिए भगवान की पूजा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। कृषि मंत्री के रूप में किसानों की तरफ से मैं प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ। उन्होंने तय किया की राष्ट्रहित और किसान के हित से कोई समझौता नहीं होगा। कुछ देश लालायित हैं कि भारत का मार्केट खुल जाए।
हमारे किसानों में और दुनिया के बाकी देश के किसानों में अंतर है। औसट्रेलिया, यूएस के किसानों के पास 10-15 हजार एकड़ जमीन है जबकि हमारे ज्यादातर किसानों के पास 2 से ढाई एकड़ जमीन है। आज भी 46% जनसंख्या को सीधा रोजगारी खेती दे रही है। देश खेती के कारण जी रहा है। खेती जरूरी है खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए।
एक जमाने में हम PL480 गेहूं खाते थे लेकिन आज अन्न के भंडार भरे पड़े हैं। हम चावल और गेहूं एक्सपोर्ट कर रहे हैं। खेती आजीविका तो है ही, ये हमारे लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है। इसलिए खेती किसानी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इंटीग्रेटेड फ़ार्मिंग को हम बहुत बढ़ावा देने वाले हैं। खेत में केवल अनाज, फल और सब्जी नहीं, इसके साथ हम दो तीन चीजें और जोड़ें। पशुपालन, मधुमक्खीपालन, कृषि वानिकी।
एक समस्या है हम किसान को सही दाम कैसे दें। किसान जो खेत में बेचता है, वो सस्ता बिकता है और वही चीज उपभोक्ता के पास आती है तो वो महंगी हो जाती है। मैं रोज खेती के बारे में समीक्षा करता हूँ। अभी प्याज के रेट कम हैं लेकिन की शहरों में प्याज 25-26 रुपये किलो बिक रहा है। सब्जी भी शहरों में दोगुना दाम में बिकती है। ऐसी की चीजें हैं। जो पसीना बहाता है, दिन रात खेत में खपता है, उसे रेट कम मिलते हैं। किसान और उपभोक्ता को मिलने वाले दाम में काफी अंतर होता है। इस अंतर को हमें घटाना है। किसान अलग-अलग इनपुट खरीदने जाता है। ट्रांसपोर्टेशन में खर्च होता है, कीमत की बार ज्यादा देना पड़ती है। जब वो बेचता है, तो मिडल मेन ज्यादा लाभ उठाता है।
6-7 चीजें दिमाग में हैं मेरे, एक है उत्पादन बढ़ाना। पर हैक्टेयर उत्पादन बढ़ाना है। हम सीड एक्ट ला रहे हैं, जिसमें बीज ठीक कीमत पर मिलें और गलत बीज यदि किसी ने दिया तो कड़ी कार्रवाई उसके खिलाफ हम करेंगे। हम सीड एक्ट भी लाएंगे और पेस्टिसाइड एक्ट को भी कड़ा बना रहे हैं। घटिया क्वालिटी का माल दे दिया, पता चला खरपतवार बच गया और फसल सूख गई! बीज ठीक कीमत पर मिलें, उत्पादन की लागत घटाने के लिए मेकेनाइजेशन पर हम काम कर रहे हैं। किसान सम्मान निधि योजना, केसीसी जैसे कार्य चल रहे हैं। पेस्टिसाइड पर सब्सिडी मिल रही है। नुकसान पर भरपाई हो, कृषि का विविधीकरण हो और वेल्यू एडीशन हो। हम केवल कच्चा माल क्यों बेचें, उसे प्रोसेस कर के क्यों न बेचें। मिलेट्स मिशन को FPO सफल बना रहे हैं।
मैं जितनी चीजें बता रहा हूँ, उन सभी का समाधान है FPO, महिला किसान भी बड़ी संख्या में FPO से जुड़ी हैं। उनमें उत्साह और उमंग है। एक FPO का टर्न ओवर 100 करोड़ है। जब एक ऐसा काम कर सकता है तो बाकि FPO भी ये काम के सकते हैं। मैं देश के किसानों से कहना चाहता हूँ। हम अलग-अलग काम करेंगे तो आदान भी महंगे खरीदेंगे, उत्पाद सस्ता बेचेंगे, वेल्यू एडीशन भी नहीं कर पाएंगे। मोलभाव नहीं कर पाएंगे। खाद-बीज अलग-अलग लाना पड़ेगा। कई FPO को इनपुट लेने का काम के लिए लाइसेंस मिले तो लागत कम हो। अगर हम इकट्ठा हैं तो हमारी बरगेनिंग की क्षमता बढ़ जाती है। किसान के उत्पाद का प्रोसेसिंग किसान ही क्यों न करें! टमाटर किसान उगाते हैं तो उसका सॉस या प्यूरी भी तो किसान बना सकते हैं।
अपने उत्पाद के लिए आसमान खुला है। शुद्ध उत्पाद की आज जरूरत है, गुणवत्ता युक्त उत्पाद की कीमत हमें ज्यादा मिलेगी। प्रचार-प्रसार, आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल जो करेगा, वो आसमान में ऊंचा उड़ेगा। आप में से ही कई लोगों ने चमत्कार किया है। आइए कुछ लक्ष्य निर्धारित करें। मैं आपको एक खुला निमंत्रण देता हूँ। एक सत्र ऐसा होना चाहिए की FPO के सुझाव क्या हैं। मुझे कुछ मित्रों ने समस्या बताई। जो जमीन पर काम कर रहा है, कठिनाइयाँ वो ही समझ सकता है। उसके अनुभव का हमें लाभ लेना चाहिए। मैं आपको वचन देता हूँ, आपके सुझावों का हम ढंग से अध्ययन करेंगे। ऐसे सुझाव जिन पर काम किया जा सकता है, उन पर हम निश्चित तौर पर काम करेंगे।
52 लाख किसान अभी FPO से जुड़े हैं, वो फायदा भी महसूस कर रहे हैं। हम क्या ये टारगेट बना सकते हैं की हम एक साल में 2 करोड़ किसानों को जोड़ दें। किसी के पास 700 किसान हैं तो वो 1500 या 2000 कर लें। हमारे 1100 FPO का टर्न ओवर तो बहुत अच्छा है। क्या हम ये तय कर सकते हैं की 50% FPO का टर्न ओवर एक करोड़ से ऊपर होगा। गुणवत्ता पर हम ध्यान दें। चीज वही बिकेगी जिस में क्वालिटी हो। प्रधानमंत्री जी ने स्वदेशी का मंत्र दिया है। FPO तो 100% स्वदेशी है। FPO के आंदोलन को ग्रामीण व्यवस्था के सशक्तीकरण का स्तम्भ मैं बनाना चाहता हूँ। मेरी कल्पना है स्वयंपूर्ण गाँव की। स्वावलंबी गाँव। गाँव की जरूरत गाँव में ही पूरी हो जाएं, ऐसी गतिविधियां हों। इसके लिए भी आप कोशिश करें।
बहनों की क्षमता को मैं प्रणाम करता हूँ। वो सक्रिय रूप से काम करती हैं। हम लक्ष्य तय कर सकते हैं कि अगेल जो सदस्य बनेंगे उसमें 50% बहनें होंगी। हम कोशिश करें की FPO के पास बीज, खाद और कीटनाशक का लाइसेंस हो। हम उत्पादक भी बनें, व्यापारी भी बनें, उद्यमी भी बनें। हम क्यों आदान का फायदा मिडिल मैन को दें! इससे अच्छी गुणवत्ता की सामग्री मिलने की भी गारंटी होगी। वेल्यू एडीशन की तरफ तेजी से बढ़ना पड़ेगा। कई चीजें हम बना रहे हैं।
FPO को जो लोन और क्रेडिट की जरूरत है, इसके लिए हम बैंक से भी बात कर लें। अगले साल तक काम से कम 75% FPO खुदरा बिक्री से भी जुड़ें। एक हम इकट्ठा चीजें खरीदें और हम ही बेचें। दो पैसे हमें ही ज्यादा मिलेंगे। थोक में खरीद लाए और खुदरा बेचें। इसमें कृषि विभाग आपको भरपूर सहयोग करेगा। कई ऐसे FPO, जिनके उत्पाद अमूल जैसे धूम मचा दें। हमें रिस्क लेना पड़ेगी।
कई बार FPO डरते हैं की असफल न हो जाएँ। जब कूद ही गए हैं तो गहरा पानी क्या देखना!ऋण लेना कमजोरी नहीं व्यापार करने का तरीका है। आप निडर होकर आगे बढ़िए, हम आपकी सहायता करेंगे। किसान की आजीविका बढ़ाना है तो उनको उत्पादक नहीं, उद्यमी बनना पड़ेगा। ये FPO के माध्यम से ही हो सकता है। मैं FPO को विश्वास की नजर से देखता हूँ। ये बात अंतिम नहीं है, संवाद का प्रारंभ है। इस क्रम को हम अलग-अलग क्रम से जारी रखेंगे।








