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केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता की

Issuer:PIB New Delhi

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11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली के पूसा कैंपस से ‘पीएम धन-धान्य योजना’  और ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ की शुरुआत करेंगे


केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अब हमारे कामों की तुलना पिछली सरकारों के कामकाज से नहीं बल्कि वैश्विक मानदंडों पर होगी


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया का फूड बास्केट बनेगा – श्री शिवराज सिंह


कृषि अवसंरचना कोष, पशुपालन, मत्स्य पालन एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की 1,100 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया जाएगा


किसानों की तरक्की और खुशहाली के लिए 42,000 करोड़ रुपये से अधिक की ऐतिहासिक पहलें


वर्ष 2030-31 तक दलहन बुवाई क्षेत्रफल 275 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य – श्री चौहान


अच्छे बीज किसानों तक ‘मिनी किट्स’ के रूप में पहुंचाए जाएंगे- श्री शिवराज सिंह 


126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को वितरित करेंगे, 88 लाख नि:शुल्क बीज के किट भी बांटे जाएंगे- श्री शिवराज सिंह


1,000 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएंगी, 25 लाख की सब्सिडी दी जाएगी- श्री चौहान


नई दिल्ली: 
 केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में प्रेस वार्ता कर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 11 अक्टूबर 2025 को जारी होने वाली महत्वाकांक्षी योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि महत्वपूर्ण रबी फसल की बुवाई के समय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी किसानों की समृद्धि और कल्याण के लिए ऐतिहासिक योजनाओं की शुरुआत करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के विकास में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। अब हमारे काम की तुलना पिछली सरकारों के कामकाज से नहीं बल्कि वैश्विक मानदंडों के आधार पर होगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत उत्कृष्ट उपलब्धियां अर्जित कर रहा है और इसी तरह आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निश्चित ही दुनिया का फूड बास्केट बनेगा। 

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में कृषि और किसान कल्याण के प्रमुख लक्ष्यों; देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों की आय बढ़ाना, पोषणयुक्त अनाज उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्धता से काम किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने को लेकर तत्परता से काम कर रही है। 2014 से अब-तक खाद्यान्न उत्पादन में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। गेहूं, चावल, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन के उत्पादन में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोतरी हुई है। श्री चौहान ने कहा कि आज गेहूं और चावल के विषय में हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं। 4 करोड़ से ज्यादा कृषि उत्पादों का निर्यात किया गया है। लेकिन दलहन के मामले में अभी और प्रयास करने की जरूरत है। 


केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक भी है उपभोक्ता भी है लेकिन बावजूद इसके सबसे ज्यादा दालों का आयात भारत ही करता है। दलहन के मामले में अभी हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हुए हैं। इसलिए दालों में आत्मनिर्भरता के लिए ‘दलहन मिशन’ की योजना बनाई गई है। 


केंद्रीय मंत्री ने ‘दलहन मिशन’ के तहत बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी, उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य 2030-31 तक दालों के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी करना है। वर्तमान में बुवाई क्षेत्रफल 275 लाख हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर किया जाएगा। साथ ही उन्होंने दालों के उत्पादन में बढ़ोतरी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अभी दालों का उत्पादन 242 लाख टन है जिसे बढ़ाकर 350 लाख टन किया जाएगा। साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में भी काम किया जाएगा। अभी उत्पादकता 880 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 1,130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करने का प्रयास होगा। 


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केंद्रीय मंत्री ने बताया कि दलहन से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान और विकास की रणनीति बनाई गई है। उच्च उत्पादकता वाली, कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल किस्मों का विकास करने पर बल दिया जा रहा है और ऐसी किस्में किसानों तक सही समय पर पहुंचे, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अच्छे बीज किसानों तक ‘मिनी किट्स’ के रूप में पहुंचाए जाएंगे। 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को वितरित किया जाएगा। 88 लाख नि:शुल्क बीज के किट भी बांटे जाएंगे। 


श्री चौहान ने कहा कि दलहन बुवाई वाले क्षेत्रों में ही यदि प्रोसेसिंग का काम हो जाए तो किसानों को उत्पादन के ठीक दाम भी मिलेंगे और प्रोसेसिंग का काम भी वहीं संपन्न हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1,000 प्रसंस्करण इकाइयों जिसपर सरकार 25 लाख रुपये की सब्सिडी देगी, उसे भी स्थापित करने का लक्ष्य है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा राज्यों की सहभागिता के साथ पूरा कृषि अमला एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम के लक्ष्य के तहत काम करेगा।


प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना पर जानकारी देते हुए श्री चौहान कहा कि पूरे देश में हर क्षेत्र की उत्पादकता एक जैसी नहीं है। अलग-अलग फसलों की उत्पादकता अलग-अलग राज्यों में भी अलग है। यहां तक कि एक राज्य में जिलों की उत्पादकता भी विभिन्न है। इसलिए सरकार ने तय किया है कि कम उत्पादकता वाले जिले छांटे जाएंगे और उनमें उत्पादकता बढ़ाने के लिए कुछ विशेष प्रयत्न किए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कम उत्पादकता वाले जिलों को यदि औसत स्तर पर भी ले आएं, तो देश के कुल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। जरूरतें भी पूरी होंगी और उन जिलों के किसानों की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल ऐसे 100 जिले चयनिय किए गए हैं जिनपर केंद्रित होकर काम किया जाएगा और प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना के तहत इन जिलों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रयत्न किए जाएंगे। प्रयत्नों में सिंचाई की व्यवस्था में विस्तार, भंडारण की व्यवस्था, दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋणों की सुविधाओं में विस्तार, फसलों में विविधिकरण शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना, आकांक्षी जिलों के लिए बनाए मॉडल पर भी आधारित है। नीति आयोग डैश बोर्ड के माध्यम से निगरानी करेगा। 


अंत में श्री चौहान ने कहा कि यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि 11 अक्टूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों इन योजनाओं की शुरुआत होने जा रही है। साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा देशभर में कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को भी रेखांकित किया जाएगा। प्रेस वार्ता में कृषि सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और डेयर सचिव डॉ. मांगी लाल जाट भी उपस्थित रहे। 


विवरण:
भारत के कृषि इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। 11 अक्टूबर 2025 को राष्ट्रीय कृषि  विज्ञान परिसर, पूसा, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के उद्देश्य से “पीएम धन-धान्य कृषि योजना” तथा “दलहन आत्मनिर्भरता मिशन” का शुभारंभ करेंगे।


इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा कृषि अवसंरचना कोष, पशुपालन, मत्स्य पालन एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की 1,100 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया जाएगा। कुल ₹42,000 करोड़ रुपये से अधिक की इन योजनाओं के माध्यम से देश के लाखों किसानों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली का नया दौर आएगा।


कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), सहकारी समितियों और तकनीकी नवाचारों को सम्मानित करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा देशभर में कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को भी रेखांकित किया जाएगा जैसे कि:- 
1.    10,000 FPOs से जुड़े 50 लाख से अधिक किसान, जिनमें 1,100 “करोड़पति FPOs” ₹1 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार |
2.    राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के अंतर्गत 1 लाख से अधिक किसानों का जैविक प्रमाणीकरण ।
3.    10,000 नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का कंप्यूटरीकरण (e-PACS) और इन्हें जन सेवा केंद्र (CSC), प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PMKSK) तथा उर्वरक विक्रेताओं के रूप में परिवर्तन|
4.    10,000 नई बहुउद्देशीय PACS के माध्यम से डेयरी और मत्स्य पालन की प्राथमिक सहकारी समितियों स्थापित।
5.    4275 ग्रामीण भारत के बहुउद्देशीय एआई तकनीशियन (MAITRIs) का प्रमाणन।


पीएम धन-धान्य कृषि योजना के तहत देश के 100 कम उत्पादकता वाले जिलों का समग्र विकास किया जाएगा, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। योजना का उद्देश्य हर खेत तक सिंचाई की सुविधा पहुँचाना, फसलों में विविधता को बढ़ावा देना और किसानों को आसान ऋण एवं भंडारण सुविधाएँ उपलब्ध कराना है। विभिन्न योजनाओं के अभिसरण (Convergence) के माध्यम से किसानों को इनका प्रत्यक्ष लाभ सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।


वहीं, दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के तहत तुअर, उड़द और मसूर जैसी प्रमुख दालों के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस मिशन के अंतर्गत केन्द्रीय एजेंसियाँ पंजीकृत किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 100 प्रतिशत खरीद करेंगी, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा। इसके साथ ही, दलहन फसलों के क्षेत्रफल में विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से देश दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाएगा।


इन योजनाओं से भारत आने वाले वर्षों में न केवल खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा बल्कि दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता भी प्राप्त करेगा।

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