Shivraj Singh Chouhan
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25 November 2025 at 11:18 am IST

छठी सस्य विज्ञान कांग्रेस में शिवराज सिंह का बड़ा संदेश: खेती में बदलाव नहीं तो भविष्य संकट में

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नई दिल्ली:  केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली के पूसा परिसर स्थित एनपीएल ऑडिटोरियम में छठे अंतर्राष्ट्रीय सस्य विज्ञान कांग्रेस (IAC–2025) का उद्घाटन किया। भारतीय सस्य विज्ञान सोसाइटी (ISA) द्वारा ICAR, IARI, NAAS और TAAS के सहयोग से आयोजित यह तीन दिवसीय वैश्विक आयोजन 26 नवंबर तक चलेगा। कांग्रेस में विश्वभर से 1,000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है, जिनमें वैज्ञानिक, नीति–निर्माता, विद्यार्थी, विकास साझेदार और FAO, CIMMYT, ICRISAT, IRRI, ICARDA और IFDC जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के विशेषज्ञ शामिल हैं।


पोषणयुक्त भोजन और किसानों की आजीविका— दोनों को सुरक्षित रखना समय की जरूरत 


उद्घाटन सत्र में मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों से ऐसे अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया, जो सीधे किसानों को लाभ पहुंचाए, विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों को। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में भारत ने विज्ञान की मदद से उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन अब चुनौती केवल उत्पादन बढ़ाने की नहीं, बल्कि किसानों की आजीविका और पोषणयुक्त खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करने की है।


उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि यही प्रवृत्ति जारी रही तो इसका दुष्प्रभाव भविष्य की पीढ़ियों को झेलना पड़ेगा। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, तिलहन और दलहन उत्पादन बढ़ाने, बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुसार समाधान विकसित करने और बीज व कृषि इनपुट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। दलहनों में वायरस अटैक, मृदा में घटता जैविक कार्बन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी जैसे मुद्दों को भी उन्होंने वैज्ञानिकों के सामने रखा। 


इंटीग्रेटेड फार्मिंग, जलवायु, सहिष्णुता और किसान– केंद्रित विज्ञान को गति देनी होगी


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एग्रोनॉमी केवल मानव केंद्रित न होकर सभी जीवों और प्रकृति के प्रति संवेदनशील होनी चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे इंटीग्रेटेड फार्मिंग को प्रोत्साहित करें और ऐसी तकनीकें विकसित करें, जिनका वास्तविक लाभ छोटे और सीमांत किसानों तक पहुँचे। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस से निकलने वाली सिफारिशों को राष्ट्रीय कृषि नीतियों में सम्मिलित करने पर गंभीरता से काम किया जाएगा।


मंत्री ने विभागों में अनावश्यक खर्च रोकने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए घोषणा की कि सरकारी कार्यक्रमों में अब किसी प्रकार के शॉल, श्रीफल, गुलदस्ते या उपहारों का आदान-प्रदान नहीं किया जाएगा। उन्होंने इसे पारदर्शिता और सरलता की दिशा में आवश्यक कदम बताया।


कांग्रेस के विभिन्न सत्रों में जलवायु–सहिष्णु कृषि, कार्बन-न्यूट्रल खेती, प्रकृति–आधारित समाधान, सटीक इनपुट प्रबंधन, आनुवंशिक क्षमता, डिजिटलीकरण, ऊर्जा–कुशल मशीनरी, पोस्ट–हार्वेस्ट प्रबंधन, पोषण–संवेदनशील कृषि, लैंगिक सशक्तिकरण और भविष्य की शिक्षा प्रणालियों पर व्यापक चर्चा होगी। युवा वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों के लिए विशेष सत्र भी आयोजित किया गया है।


यह कांग्रेस भारत को जलवायु–स्मार्ट एवं डिजिटल कृषि–खाद्य प्रणालियों के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगी और G20, FAO, CGIAR तथा दक्षिण–दक्षिण सहयोग के साथ साझेदारी को और मजबूत बनाएगी।


सोर्स: कृषक जगत

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