

नई दिल्ली: कृषि नीति सरकार अकेले तय नहीं कर सकती- शिवराज सिंह चौहान ने निजी क्षेत्र और वैज्ञानिकों की भूमिका पर जोर दिया– नई दिल्ली में एग्रीबिज़नेस समिट 2025 की शुरुआत इस स्पष्ट संदेश के साथ हुई कि भारत की कृषि वृद्धि सरकार, उद्योग, वैज्ञानिकों और किसानों के साझा प्रयास से ही आगे बढ़ सकती है। चर्चा का केंद्र कृषि जीडीपी बढ़ाने के लिए तकनीक, गुणवत्तापूर्ण इनपुट और खेतों तक पहुँचने वाले शोध पर रहा।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता कृषि है। उन्होंने कहा कि वे किसी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं आए, बल्कि इसलिए आए क्योंकि कृषि समुदाय के सभी प्रतिनिधि यहां मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि नीति केवल सरकार तय करे तो वह प्रभावी नहीं होगी और सभी हितधारकों का मिलकर सोचना आवश्यक है।
चौहान ने कहा कि केवल प्रयोगशाला में बैठकर शोध करने से काम नहीं चलेगा, वैज्ञानिकों को खेतों में जाना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि लक्ष्य “लैब टू लैंड” है और शोध का उद्देश्य किसानों के जीवन में सुधार लाना होना चाहिए, न कि केवल तकनीकी पेपर लिखना।
उन्होंने बताया कि किसानों ने खुद भी कई नवाचार किए हैं जो प्रयोगशाला से नहीं, बल्कि खेत से निकलकर आए हैं। उन्होंने पिंक बॉलवर्म को एक बड़ी समस्या बताया और कहा कि मंत्रालय ने ऐसे 500 मुद्दों को चिन्हित किया है जिन पर तत्काल कार्य की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में 44% वृद्धि हुई है और जलवायु अनुकूल किस्में बदलते मौसम में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
चौहान ने कहा कि बेहतर बीज, इनपुट, मशीनीकरण और “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” जैसी पहलों से उत्पादन बढ़ा है, लेकिन लागत भी बढ़ी है जिससे लाभ घटा है। उन्होंने कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक के उपयोग को कम करने और संतुलित उपयोग को भविष्य का रास्ता बताया।
सोर्स: कृषक जगत
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