Shivraj Singh Chouhan
Hero Background
15 November 2025 at 10:23 am IST

Bihar Election-2025 : शिवराज का 'नारी शक्ति' मॉडल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र से बिहार तक... भाजपा की बंपर जीत का 'मास्टर स्ट्रोक'

News Content

नई दिल्ली: शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश में शुरू की गई 'लाडली बहना' योजना, अब केवल एक योजना नहीं रही. यह भारतीय राजनीति में 'आधी आबादी' की निर्णायक शक्ति का प्रतीक बन गई है. यह एक ऐसा 'विजय मॉडल' है जिसने मध्य प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र और बिहार तक, जातिगत राजनीति के जटिल किलों को भेदकर भाजपा और एनडीए के लिए बंपर जीत का मार्ग प्रशस्त किया है.



भारतीय राजनीति के पिछले कुछ साल अभूतपूर्व बदलावों के गवाह रहे हैं. दशकों से चले आ रहे जाति और पंथ के समीकरणों के बीच, एक नया और शक्तिशाली राजनीतिक 'वोट बैंक' उभरा है, जिसे 'नारी शक्ति' या 'आधी आबादी' कहते हैं. यह एक ऐसा 'साइलेंटबेव है, जिसने हाल के चुनावों में बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों के विश्लेषण को धता बताते हुए चुनावी नतीजे तय किए हैं.इस बदलाव की पटकथा लिखने का श्रेय काफी हद तक मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है.उनकी 'लाडली बहना' योजना सिर्फ एक कल्याणकारी योजना नहीं, बल्कि एक ऐसा सफल राजनीतिक 'मॉडल' साबित हुई है, जिसे भाजपा ने अब एक 'ब्रह्मास्त्र' की तरह अपना लिया है. जो मध्य प्रदेश की इस प्रयोगशाला में तैयार हुआ मॉडल, महाराष्ट्र और फिर बिहार में भाजपा-एनडीए की बंपर जीत का रास्ता साफ कर गया.



MP की लैब: 'लाडली बहना' बनी अमोघ अस्त्र!



साल 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती थे. राज्य में लगभग 18 वर्षों की सत्ता विरोधी लहर थी. अधिकांश सर्वे और राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस की स्पष्ट बढ़त दिखा रहे थे. विपक्ष के कड़े विरोध और कुछ हद तक अपनी ही पार्टी के भीतर की शंकाओं के बावजूद, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना सबसे बड़ा दांव खेला: 'मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना'. मार्च 2023 में शुरू हुई इस योजना के तहत, राज्य की पात्र महिलाओं के खातों में सीधे 1000 रुपये जो चुनाव से ठीक पहले 1250 रुपये कर दिए गए प्रति माह भेजना शुरू किया गया. यह सिर्फ 'आर्थिक मदद' नहीं थी; यह 'सम्मान' और 'आत्मनिर्भरता' का एक सीधा संदेश था.इस योजना को 'रेवड़ी बहुत विरोध हुआ. लेकिन शिवराज सिंह चौहान अड़े रहे. उन्होंने इसे महिला सशक्तीकरण और सम्मान से जोड़ा औऱ नतीजा सबके सामने था. चुनाव परिणामों ने विश्लेषकों को चौंका दिया. 'लाडली बहना' योजना ने एक 'साइलेंट वेव'  पैदा की, जिसने सत्ता विरोधी लहर को पूरी तरह पलट दिया. महिला मतदाताओं ने जाति-समुदाय से ऊपर उठकर भाजपा के पक्ष में भारी मतदान किया, जिसे भाजपा की 'प्रचंड जीत' का मुख्य कारण माना गया. शिवराज ने यह साबित कर दिया कि 'नारी शक्ति' का भरोसा, किसी भी राजनीतिक समीकरण से बड़ा है.



जीत का 'नेशनल मॉडल', महाराष्ट्र से बिहार तक



मध्य प्रदेश की सफलता ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को एक अचूक फॉर्मूला दे दिया. इस मॉडल की पहली बड़ी परीक्षा महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों नवंबर 2024) में हुई.मध्य प्रदेश की तर्ज पर, महाराष्ट्र में महायुति (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी) सरकार ने 'माझी लाडकी बहिन' योजना की घोषणा की. इस योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपये देने का वादा किया गया और इसे लागू भी किया गया. नतीजा? मध्य प्रदेश की कहानी महाराष्ट्र में दोहराई गई. इस एक योजना ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के बीच महायुति गठबंधन के पक्ष में अभूतपूर्व समर्थन जुटाया और गठबंधन को स्पष्ट बहुमत दिलाने में 'गेम-चेंजर' की भूमिका निभाई



जाति पर 'नारी' दांव: बिहार में चल गया जादू



इसके बाद, सबसे जटिल माने जाने वाले बिहार के चुनावी रणमें इस मॉडल का परीक्षण हुआ. बिहार वह राज्य है, जहां राजनीति दशकों से 'जातिगत समीकरणों' पर ही टिकी रही है. जहा विपक्ष राजद-कांग्रेस जहां 'जातिगत जनगणना' और आरक्षण के मुद्दे पर एनडीए को घेर रहा था, वहीं एनडीए ने अपना 'नारी शक्ति' कार्ड खेला.चुनावों से ठीक पहले, एनडीए सरकार ने 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' के तहत राज्य की 1.5 करोड़ महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये की एकमुश्त राशि सीधे ट्रांसफर कर दी.यह शिवराज मॉडल का ही एक नया संस्करण था. नतीजा फिर वही हुआ. महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से 9% अधिक रहा. इन 1.5 करोड़ 'लाभार्थी' महिलाओं और उनके परिवारों ने जाति की सीमाओं को तोड़कर एनडीए के 'भरोसे' पर मुहर लगा दी और गठबंधन को बंपर जीत दिलाई.



जाति का 'तोड़' और मोदी का 'भरोसा'



भाजपा की यह 'नारी शक्ति' रणनीति, विपक्ष की 'जाति वाली राजनीति' का सबसे प्रभावी तोड़ बनकर उभरी है.प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 से ही एक नए 'लाभार्थी वर्ग' को तैयार करने पर काम किया है. यह ऐसा वर्ग है जो किसी एक जाति का नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं के 'लाभार्थियों' का है. उज्ज्वला योजना गैस सिलेंडर, पीएम आवास योजना, और अब ये सीधी आर्थिक मदद वाली योजनाएं—इन सभी का सबसे बड़ा लाभार्थी वर्ग महिलाएं ही रही हैं.यह मॉडल 'जाति' को नहीं तोड़ता, बल्कि 'जाति' से ऊपर उठकर एक नई पहचान बनाता है. जब एक महिला के खाते में सीधे पैसे आते हैं, तो वह किसी जाति-नेता की बजाय सीधे सरकार - मोदी/शिवराज/नीतीश) से जुड़ जाती है. यह 'विकास' और 'विश्वास' का एक सीधा रिश्ता है, जो जाति-आधारित लामबंदी को कमजोर कर देता है. बिहार और महाराष्ट्र ने यह साबित कर दिया है कि 'आधी आबादी' का यह 'लाभार्थी वर्ग' अब भारत का सबसे बड़ा और सबसे निर्णायक वोट बैंक है.



ग्रामीण भारत में 'नारी शक्ति' का विस्तार



साल 2024 लोक सभा चुनाव जीतने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने इस मॉडल के वास्तुकार, शिवराज सिंह चौहान, को एक बहुत ही सोची-समझी जिम्मेदारी सौंपीकेंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय. यह एक मास्टरस्ट्रोक है .शिवराज सिंह अब इसी 'नारी शक्ति' के 'भरोसे' को अपने मंत्रालय की योजनाओं में पिरो रहे हैं.उनका लक्ष्य स्पष्ट है: जो भरोसा 'लाडली बहना' ने दिलाया, उसे 'लखपति दीदी' बनकर मजबूत करना है.वह ग्रामीण विकास मंत्रालय के 'स्वयं सहायता समूहों' और कृषि मंत्रालय की 'किसान सखी' व 'कृषि सखी' जैसी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं की आय बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं.उनका लक्ष्य महिलाओं को सिर्फ लाभार्थी बनाए रखना नहीं, बल्कि उन्हें 'लखपति' और 'करोड़पति दीदी' बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी बनाना है. यह भाजपा के 'नारी शक्ति' के भरोसे को 2029 आम चुनाव और उससे आगे तक बनाए रखने की एक दीर्घकालिक रणनीति है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली हमेशा से ही 'अच्छे विचारों' को अपनाने की रही है, चाहे वे कहीं से भी आएं. जैसा कि आपने 2014 में उनके संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद के भाषण का जिक्र किया, उन्होंने 'गुजरात मॉडल' की जो व्याख्या की थी, 'गुजरात मॉडल' का अर्थ सिर्फ गुजरात के काम नहीं था, बल्कि देश भर के अच्छे मॉडलों को अपनाना था.




सोर्स: किसान तक 

Looking for more news?

Browse All Latest News

More Latest News

Twitter
Facebook
Instagram
YouTube
LinkedIn